कभी जूझते थे दुकान बचाने को, आज हैं तीन कंपनियां

 पानी है सफलता जो तुमको, तो खुद को तुम आजाद करो, मत डरो किसी मुसीबत से, अपने हौसले को फौलाद करो...वरिष्ठ कवि की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है उद्यमी दिनेश मित्तल ने। वर्ष 1989 में पिता जगदीश प्रसाद मित्तल के साथ दिल्ली सदर बाजार में एक छोटी सी दुकान से सफर शुरू करने वाले दिनेश मित्तल आज संपूर्ण भारत में घर-घर तक भारत सरकार के साथ मिलकर गैस सिलेंडर पहुंचा रहे हैं।
उद्यमी दिनेश मित्तल उद्योग अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि वर्ष 1958 में पिता जगदीश मित्तल की दिल्ली सदर बाजार में एक छोटी-सी की दुकान थी, जिसमें कॉपर बनाने का काम होता था। वह परिवार में सभी के लाडले थे तो वर्ष 1989 के दौरान पिता उन्हें अपने साथ दुकान पर ले जाने लगे थे। उस समय वह दिल्ली श्यामलाल कॉलेज में बी.कॉम फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहे थे। रोजाना पिता और बेटे दोनों साइकिल से सदर बाजार में दुकान पर पहुंचते थे। वहां पिता उन्हें कॉपर बनाने के बारे में समझाते। ये सिलसिला करीब साढ़े चार साल तक चला। पिता के बताए नुस्खे पर चलते हुए दिनेश के दिमाग में कुछ नया करने की रणनीति चल रही थी लेकिन वह पिता से बोलने में झिझक रहे थे।
1995 में बदल गया पूरा कारोबार:
उद्यमी दिनेश बताते हैं कि कॉपर के काम में उन्हें कुछ अच्छा नहीं लगता था। अचानक काम में मंदी आई तो कारोबार संभालना मुश्किल हो गया। पूरे परिवार को दुकान की चिंता सताने लगी। मगर उनके हौसलों ने थकने या हारने का जवाब नहीं दिया। उन्होंने अपने हौसलों को मजबूत कर वर्ष 1995 में परिवार और रिश्तेदारों के सहयोग से साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र साइट-4 में जगह किराए पर ली। वहां एलपीजी गैस सिलेंडर बनाने का काम शुरू किया। अचानक कारोबार बदलने के बाद उन्हें नए काम की ज्यादा जानकारी नहीं थी और बाजार की चुनौतियों से पार भी लगाना था। वहीं, सिलेंडर के लिए डाइवर्सिफिकेशन के नियमों की उलझनों ने उन्हें और भी ज्यादा उलझा दिया।
तीन साल तक झेली मंदी :
वर्ष 2001 में बाजार में मंदी आने के बाद उद्यमी मित्तल का पूरा कारोबार दाव पर लगा हुआ था। महीनों तक कारोबार में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही थी। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। भाई पंकज मित्तल ने बिजनेस में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। इसके बाद नतीजा ये हुआ कि दो करोड़ रुपये सेे गैस सिलेंडर की छोटी कंपनी शुरू करने वाले उद्यमी दिनेश मित्तल आज तीन कंपनियों के चेयरमैन बन गए हैं। बताया गया कि वह अपनी तीनों कंपनियों में 15 लाख से ज्यादा गैस सिलेंडर बनाकर सलाना 150 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर करते हैं। जिन्हें भारत सरकार के सहयोग से घर-घर में पहुंचाने का काम होता है।